Manglik-Dosh or Manglik Yog

                                                         मांगलिक योग


आज हम यहां पर मांगलिक योग या मंगल दोष के बारे में चर्चा करेंगे विस्तार से, शास्त्रों में मंगल दोष या इसे कुज दोष बोला गया है , जन्मपत्री में जब मंगल लग्न में, चतुर्थ स्थान में, सप्तम स्थान में,अष्टम स्थान में,और द्वादश स्थान में है, तो यह मांगलिक योग बनता है शास्त्रों में से कुज दोष भी बोला गया है
अब मंगल कहीं ना कहीं वैवाहिक जीवन में समस्या प्रदान करता है इसीलिए बोला गया है कि मांगलिक व्यक्ति का विवाह मांगलिक से ही होना चाहिए यह नियम है यदि नहीं होता है तो जीवनसाथी को घोर कष्ट होता है मांगलिक व्यक्ति का विवाह मांगलिक से ही हो तो दांपत्य जीवन बहुत अच्छा रहता है और उन्हें कोई समस्या नहीं आती है |

मांगलिक जो व्यक्ति होगा उसकी आत्मा पहले जन्म में तपस्या करके आई हुई होती है मांगलिक व्यक्ति कभी भी जीवन में हिम्मत नहीं हारता | मंगल उसे हिम्मत देता रहता है लेकिन मंगल होता है और बिना मंगली वाला यदि कोई व्यक्ति होगा तो वह उसके लिए मारकेश बनेगा तो जीवनसाथी के स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा इसीलिए पूरी-पूरी कोशिश करें कि मांगलिक व्यक्ति से ही विवाह करें |


मांगलिक व्यक्ति के विवाह के लिए उपाय होते हैं जिन्हें हम आसानी से कर सकते हैं और समय पर विवाह हो सकता है ,मांगलिक व्यक्ति के विवाह की आयु 28 वर्ष 32 वर्ष 36 वर्ष क्रमशः रहती है यदि समय पर उपाय किए जाएंगे तो 28 वर्ष पर विवाह 100% हो सकता है, कुंडली में गुण मिलान 18 हो तो भी व्यक्ति मंगली है तो कर सकते हैं |

मेरे विचार से आंशिक मंगली कुछ नहीं होता क्योंकि जो भी होता है वह पूर्ण होता है अर्थात कुंडली या तो मांगलिक होगी या मांगलिक नहीं होगी आंशिक मंगल का कोई महत्व नहीं है और अधिक जानकारी के लिए आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं |

आचार्य चेतन गजकेसरी 

Contact No.  9926260062



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