कुंडली में कालसर्प दोष
ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प योग का विशेष महत्व है , हालांकि शास्त्रों में इस पर चर्चा नहीं की गई है परंतु कालसर्प योग का जो परिणाम प्राप्त होता है,उससे जातक बहुत ज्यादा परेशान हो जाता है |
कालसर्प योग जोकि 12 तरह का होता है यह योग जब बनता है, जब अपने पिछले जन्म में या किसी जन्म में नाग की हत्या की है या सर्प की हत्या करने पर कालसर्प योग का निर्माण होता है किसी जातक की कुंडली में पूर्ण कालसर्प योग होता है या आंशिक कालसर्प योग भी हो सकता है}
यदि चंद्रमा अकेला बाहर है तो यह आंशिक कालसर्प की तरह माना जाएगा, इसका एक ही सिद्धांत है-व्यक्ति को मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता, लेकिन जैसे ही इसका विधि विधान से प्रायश्चित किया जाता है उसका जातक को पूरा फल प्राप्त होता है और जातक उसे ऊंचाई पर पहुंच जाता है जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होती क्योंकि उसे फिर पूजन के बाद नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है
राहु जब अमृत लेकर भाग गया था तब भगवान विष्णु ने मोहिनी एकादशी के दिन अवंतिका तीर्थ स्थान अर्थात उज्जैन में सुदर्शन चक्र से मोहिनी रूप रखकर उसको दो हिस्सों में बांट दिया ऊपर का हिस्सा राहु और नीचे का हिस्सा केतु बना और भगवान विष्णु की तर्जनी से रक्त निकलने लगा उससे मोक्षदायी क्षिप्रा उत्पन्न हुई इसीलिए राहु केतु का स्थान सिर्फ और सिर्फ उज्जैन है इसकी विधि पूजन शांति के लिए से आप संपर्क करें
कुंडली में दिखाने के बाद ही आप इसका उपचार करें, रंक को राजा और राजा को रंक बनाने के लिए कालसर्प योग ही काफी है |
राहु और केतु दोनों का स्थान सिर्फ और सिर्फ उज्जैन है और वहीं पर पूजा करवाने पर लाभ प्राप्त हो रहा है और अधिक जानकारी के लिए आप संपर्क कर सकते हैं
आचार्य चेतन गजकेसरी
Contact No. 9926260062
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