गजकेसरी योग में गणपति उत्सव एक अत्यंत शुभ और फलदायी संयोग माना जाता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
गजकेसरी योग क्या है?
गजकेसरी योग एक अत्यंत शुभ योग होता है, जो तब बनता है जब चंद्रमा केंद्र स्थान (1st, 4th, 7th, 10th भाव) में स्थित हो और उस समय बृहस्पति भी उससे केंद्र में या उसमें स्थित हो।
गज (हाथी) और केसरी (सिंह) — ये दोनों शक्तिशाली जानवरों के प्रतीक हैं, और यह योग व्यक्ति को:
- प्रतिष्ठा
- बुद्धिमत्ता
- धन
- सम्मान
- धर्मपरायणता
प्रदान करता है।
गणपति उत्सव में इसका महत्व
अगर गणपति उत्सव के समय गजकेसरी योग बना हो, तो यह कई तरह से शुभ फलदायक माना जाता है:
संकटों का नाश:
गणेश जी स्वयं विघ्नहर्ता हैं। गजकेसरी योग उनकी कृपा को और भी अधिक प्रभावशाली बना देता है।
मनोकामना पूर्ति:
जो भी व्यक्ति इस दिन विधिपूर्वक गणेश पूजन करता है, उसकी मनोकामनाएँ शीघ्र पूर्ण हो सकती हैं।
सामूहिक लाभ:
यदि यह योग समूह पूजा, स्थापना, या महोत्सव के दिन बनता है, तो पूरे समाज या क्षेत्र के लिए यह समृद्धि और शांति लाने वाला माना जाता है।
विद्यार्थियों और व्यवसायियों के लिए विशेष लाभ:
चंद्र और गुरु दोनों ही बुद्धिमत्ता और ज्ञान के कारक हैं। यह समय विद्या, करियर और व्यवसाय में वृद्धि का होता है।
पूजन की विशेष विधि (गजकेसरी योग में)
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
गणपति जी की प्रतिमा की स्थापना करें।
गजकेसरी योग के समय विशेष मंत्रों का जाप करें:
ॐ गं गणपतये नमः (108 बार)
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वरेण्यं हूं नमः
मोदक, दूर्वा, और सिंदूर से पूजा करें।
विशेष आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
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