Gajkesari Yog | गजकेसरी योग


                           गजकेसरी योग

     गजकेसरी योग ज्योतिष के सर्वश्रेष्ठ एवं महान राजयोगों में से एक है। जिसका उल्लेख ज्योतिष के सभी महान ग्रंथों में ऋषियों द्वारा किया गया। ये समय की बिडम्बना ही थी कि किसी ने भी इस महान राजयोग पर शोध या विस्तारपूर्वक वर्णन नहीं किया।

     प्राचीन सनातन संस्कृति से लेकर वर्तमान तक, सतयुग, द्वापर से लेकर कलियुग तक इस योग की महत्ता हमेशा रही है। और हर युग में रहेगी। इस योग की विशिष्ट पहचान इस बात से ही है कि यह राजयोग भगवान राम, श्रीकृष्ण ओर हनुमान जी महाराज की कुण्डली में था और इसी महान राजयोग के कारण उन्हें सभी प्रकार के भौतिक और सांसारिक सुख, दैविक एवं आध्यात्मिक सुख प्राप्त हुए।

     गजकेसरी योग की विशिष्ट बात है कि किसी जन्म में सच्चे मन से की गई गुरू की सेवा का परिणाम गजकेसरी योग है। गजकेसरी योग वाले जातक/जातिका को गुरू की सेवा का फल हर जन्म में मिलता है। उसे श्रेष्ठ गुरूजनों का मार्गदर्शन प्राप्त होता है। श्रेष्ठ गुरू के मार्गदर्शन से सांसरिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। तथा वह गुरू कृपा एवं ईश्वर भक्ति से मोक्ष के पथ पर अग्रसर होता है।

     गजकेसरी योग सामान्यतः केन्द्र भाव या त्रिकोण में बनने वाला अधिक शक्तिशाली होता है। परन्तु भाग्य भाव में बनने वाला (कारक ग्रहों से) गजकेसरी योग का कोई मुकावला नहीं। हालांकि प्रत्येक गजकेसरी योग का विभिन्न भावों से अलग अलग महत्व होता है और प्रत्येक भाव में बनने वाला गजकेसरी योग महत्वपूर्ण होता है।

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