शिक्षा
जन्म कुंडली में शिक्षा स्थान को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है इसे जन्म कुंडली में पंचम भाव बोला जाता है, कई प्रकार की शिक्षाओं का अध्ययन ज्योतिष के माध्यम से कुंडली के द्वारा किया जाता है |
हम यहां पर सामान्य रूप से बात करेंगे | यदि शिक्षा स्थान का स्वामी या पंचम भाव का स्वामी अर्थात पंचमेश लग्न में, द्वितीय स्थान में, पंचम स्थान में, सप्तम स्थान में, नवम स्थान में, दशम स्थान में या एकादश स्थान में है तो जातक की शिक्षा में कठिनाई नहीं होती है |
पंचम भाव का स्वामी यदि छठे स्थान में, आठवें स्थान में या 12वे स्थान में हो तो शिक्षा में अवरोध का योग बनता है | प्रारंभिक शिक्षा के लिए द्वितीय स्थान को यहां पर देखा जाता है | हायर एजुकेशन या उच्च शिक्षा के लिए नवम भाव को यहां पर देखा जाता है |
वर्तमान समय में अच्छे इंस्टिट्यूट के लिए भी नवम भाव और गुरु को देखा जाता है | गोचर यह तय करता है कि आप किस संस्थान में जाने वाले हैं|
यदि बचपन में राहु की दशा चल रही है और पंचमेश उससे प्रभावित है या पीड़ित है तो शिक्षा में अवरोध का योग बनता है शिक्षा में जातक का मन नहीं लगता और वह बहुत ज्यादा परिश्रम भी नहीं करता है और मेहनत करने पर भी उचित परिणाम प्राप्त नहीं होता है |
वहीं यदि पंचम भाव और उसके स्वामी पर गुरु का पूर्ण प्रभाव है तो जातक मेधावी छात्र होता है पंचम भाव का संबंध यदि मंगल से होता है तो खेलकूद में विभिन्न उपलब्धियां प्राप्त करता है और अधिक जानकारी के लिए आप संपर्क कर सकते हैं आचार्य चेतन गजकेसरी |
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