विवाह और प्रेम विवाह
मानव जीवन में विवाह या प्रेम विवाह का अत्यंत ही महत्व है | जन्म कुंडली के द्वारा यह पता किया जा सकता है कि विवाह के बाद जातक का जीवन कैसा होगा, उसे कैसा जीवनसाथी मिलेगा |
वर्तमान समय में यदि विवाह में समस्या हो तो उसका समाधान हो सकता है परंतु वैवाहिक जीवन खराब हो तो बहुत ज्यादा कठिनाई होती है इसलिए कुंडली मिलान में बहुत अच्छी तरह से देखना चाहिए कि वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा |
विवाह को जन्मपत्री में सप्तम भाव से देखा जाता है | यदि कुंडली में सप्तम भाव और उसका स्वामी अर्थात सप्तमेश पाप प्रभाव में है तो वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं रहेगा | लड़की की कुंडली में, यदि गुरु खराब है तो वैवाहिक जीवन में कष्ट रहेगा और लड़के की कुंडली में यदि शुक्र खराब है या पाप प्रभाव में है तो भी वैवाहिक जीवन में कष्ट रहेगा |
यहीं पर मंगल दोष की भी चर्चा होती है यदि मंगल कोई व्यक्ति है और बिना मंगली से विवाह करता है तो भी वैवाहिक जीवन में समस्या का सामना करना पड़ सकता है मांगलिक और बिना मांगलिक कुंडली का मिलन बहुत अच्छा परिणाम नहीं देता है विवाह के लिए गुण मिलान होता है जो कि कम से कम 18 होना चाहिए |
प्रेम विवाह के लिए बात करें तो पंचम भाव और सप्तम भाव का कहीं ना कहीं मिलान होना चाहिए और दशाओं का मिलान होना चाहिए |
प्रेम विवाह तब ही सफल होता है जब कुंडली में दोनों का पंचम भाव और सप्तम भाव मेल खा रहा हो अन्यथा वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं रहता है |
अधिक जानकारी के लिए आप आचार्य चेतन गज केसरी से संपर्क कर सकते हैं |
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