संतान सुख
जन्म कुंडली में संतान सुख को बहुत महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है और यह कुंडली में पंचम भाव से देखा जाता है | पंचम भाव या पंचमेश यदि शुभ प्रभाव में है तो बहुत उच्च कोटि की संतान होती है और यदि उस पर गुरु का भी प्रभाव है तो संतान के होने के बाद बहुत ज्यादा उन्नति होती है |
पंचम भाव या पंचमेश यदि पाप प्रभाव में है या पितृ दोष के प्रभाव में है या राहु केतु के पास प्रभाव में है या शनि से दृष्ट है तो संतान होने के बाद कष्ट बढ़ जाते हैं और संतान बहुत ज्यादा पैसा खर्च करवाती है और जिद्दी होती है और परेशान करती रहती है |
कुंडली मिलान में सबसे महत्वपूर्ण इसी का अध्ययन किया जाता है कि यदि पंचम भाव दोनों का शुद्ध है, बहुत अच्छा है और शुभ प्रभाव में है, गुरु की दृष्टि है पंचम भाव पर या गजकेसरी योग बन रहा है पंचम भाव में या गजकेसरी योग का प्रभाव है तो संतान बहुत उच्च को टि की होगी और बहुत ज्यादा सुख देने वाली होती है |
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